भारत ने दिया रूस को झटका! तेल आयात में की बंपर कटौती, जानिए क्या है वजह
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भारत ने दिया रूस को झटका! तेल आयात में की बंपर कटौती, जानिए क्या है वजह

 रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद एक प्रतिशत से कम होती थी, जो बढ़कर 40 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से इसलिए हुई क्योंकि रूसी कच्चा तेल छूट के कारण था. 

भारत ने दिया रूस को झटका! तेल आयात में की बंपर कटौती, जानिए क्या है वजह

India Russia Relations: रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद एक प्रतिशत से कम होती थी, जो बढ़कर 40 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से इसलिए हुई क्योंकि रूसी कच्चा तेल छूट के कारण था. 

  1. India Russia Trade Relations: रूस द्वारा छूट में कटौती के बाद भारत ने भी कच्चे तेल की खरीदारी कम कर दी है.  एक यूरोपीय शोध संस्थान की मासिक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का रूस से कच्चे तेल का आयात नवंबर में घटकर जून 2022 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गया है. हालांकि, इसके बावजूद रूस अब भी भारत के लिए कच्चे तेल का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है. 
  2. रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद भारत रूसी कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बन गया. रूस से भारत की कच्चे तेल की खरीद एक प्रतिशत से कम होती थी, जो बढ़कर 40 प्रतिशत पर पहुंच गई. यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से इसलिए हुई क्योंकि रूसी कच्चा तेल छूट पर उपलब्ध था. 
  3. मूल्य सीमा और यूरोपीय देशों द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने से बचने की वजह से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध अन्य कच्चे तेल से कम कीमत पर मिल रहा था. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि नवंबर में भारत के रूसी कच्चे तेल के आयात में 55 प्रतिशत की भारी गिरावट आई. यह जून, 2022 के बाद का सबसे निचला आंकड़ा है.
  4. रूस भी अभी भी टॉप सप्लायर
  5. हालांकि, रूस अब भी भारत के लिए सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है. रूस के बाद इराक और सऊदी अरब का स्थान है. सीआरईए ने बिना कोई सटीक आंकड़े दिए कहा कि रूस के कच्चे तेल निर्यात का 47 प्रतिशत चीन ने खरीदा है. उसके बाद भारत (37 प्रतिशत), यूरोपीय संघ (छह प्रतिशत) और तुर्किये (छह प्रतिशत) का स्थान है.
  6. नवंबर में ब्रेंट कच्चे तेल की तुलना में रूस के यूराल ग्रेड वाले कच्चे तेल पर छूट में माह-दर-माह आधार 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह औसतन 6.01 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गई. ईएसपीओ ग्रेड पर छूट में 15 प्रतिशत की भारी कमी आई और यह औसतन 3.88 डॉलर प्रति बैरल की छूट पर कारोबार कर रहा था, जबकि सोकोल मिश्रण पर यह दो प्रतिशत घटकर 6.65 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल हो गया. 
  7. कोयला खरीद में भी कटौती
  8. रूस द्वारा भारत को मुख्य रूप से ईएसपीओ और सोकोल ग्रेड का कच्चा तेल बेचा जाता है. कच्चे तेल के अलावा भारत ने रूस से कम कोयला भी खरीदा है. हालांकि, इसकी मात्रा काफी सीमित है. 
  9. सीआरईए के अनुसार, पांच दिसंबर, 2022 से नवंबर, 2024 के अंत तक चीन ने रूस के सभी कोयला निर्यात का 46 प्रतिशत खरीदा. उसके बाद भारत (17 प्रतिशत), तुर्किये (11 प्रतिशत), दक्षिण कोरिया (10 प्रतिशत) और ताइवान (पांच प्रतिशत) शीर्ष पांच खरीदारों की सूची में शामिल हैं. सभी जीवाश्म ईंधनों को एक साथ लिया जाए, तो भारत नवंबर में रूसी जीवाश्म ईंधन के सबसे बड़े खरीदारों की सूची में तीसरे स्थान पर आ गया. रूस की पांच शीर्ष आयातकों से मासिक आमदनी में भारत का योगदान 17 प्रतिशत रहा.

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